तूफ़ान से उलझ गए लेकर ख़ुदा का नाम
आख़िर नजात पा ही गए नाख़ुदा से हम
पहला सा वह जुनूने-मुहब्बत नहीं रहा
कुछ-कुछ सम्भल गए हैं तुम्हारी दुआ से हम
तेरी दोस्ती पै मेरा यकीं, मुझे याद है मेरे हमनशीं
मेरी दोस्ती पै तेरा ग़ुमाँ, तुझे याद हो कि न याद हो
वह जो शाख़े-गुल पै था आशियां जो था वज्ह-ए-नाज़िश-ए-गुलसिताँ
गिरी जिसपै बर्के-शरर-फ़िशाँ तुझे याद हो कि न याद हो
मेरे दिल के जज़्बए-गर्म में मेरे दिल के गोशए नर्म में
था तेरा मुक़ाम कहाँ-कहाँ तुझे याद हो कि न याद हो
ख़ूए-वफ़ा मिली दिले-दर्द-आश्ना मिला
क्या रह गया है और जो माँगें ख़ुदा से हम
पाए-तलब भी तेज था मंज़िल भी थी क़रीब
लेकिन नजात पा न सके रहनुमाँ से हम
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