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» » महेन्द्र सिंह बेदी 'सहर' (दिल के पन्ने ) Mahendra singh bedi sahar (Dil ke Panne)





आ रहे हैं मुझको समझाने बहुत
अक़्ल वाले कम हैं दीवाने बहुत

साक़िया हम को मुरव्वत चाहिए
शहर में हैं वरना मयखाने बहुत

क्या तग़ाफ़ुल का अजब अन्दाज़ है
जान कर बनते हैं अंजाने बहुत

हम तो दीवाने सही नासेह मगर
हमने भी देखे हैं फ़रज़ाने बहुत

आप भी आएं किसे इनकार है
आए हैं पहले भी समझाने बहुत

ये हक़ीक़्त है कि मुझ को प्यार है
इस हक़ीक़त के हैं अफ़साने बहुत

ये जिगर, ये दिल, ये नींदें, ये क़रार
इश्क़ में देने हैं नज़राने बहुत

ये दयार-ए-इश्क़ है इसमें सहर
बस्तियाँ कम कम हैं वीराने बहुत

1---

आए हैं समझाने लोग
हैं कितने दीवाने लोग

दैर-ओ-हरम1 में चैन जो मिलता
क्यूं जाते मैखाने2 लोग

1. मंदिर मस्जिद, 2. शराबखाना

जान के सब कुछ कुछ भी ना जाने
हैं कितने अनजाने लोग

वक़्त पे काम नहीं आते हैं
ये जाने पहचाने लोग

अब जब मुझको होश नहीं है
आए हैं समझाने लोग

2---

तुम हमारे नही तो क्या गम है
हम तुम्हारे तो हैं यह क्या कम है

मुस्कुरा दो ज़रा ख़ुदा के लिए,
शाम-ए-महफिल में रौशनी कम है,

3---

अभी वो कमसिन उभर रहा है, अभी है उस पर शबाब आधा
अभी जिगर में ख़लिश है आधी, अभी है मुझ पर एतमाद1 आधा

मेरे सवाल-ए-वस्ल2 पर तुम नज़र झुका कर खड़े हुए हो
तुम्हीं बताओ ये बात क्या है, सवाल पूरा, जवाब आधा

कभी सितम है कभी करम है, कभी तवज़्जह3 कभी तगाफ़ुल4
ये साफ ज़ाहिर है मुझ पे अब तक, हुआ हूँ मैं कामयाब आधा
1. विश्वास, 2. मिलने की बात पर, 3.ध्यान देना , 4. उपेक्षा

4---

ऐ नौजवान बज़ा कि जवानी का दौर है
रंगीन सुबह शाम सुहानी का दौर है
ये भी बज़ा कि प्रेम कहानी का दौर है
लेकिन रहे ये याद गरानी1 का दौर है
1.मँहगाई

5---

इश्क़ हो जाए किसी से कोई चारा तो नहीं
सिर्फ मुस्लिम का मोहम्मद से इजारा* तो नहीं
*अधिकार

About dil ke panne

Hi there! I am Hung Duy and I am a true enthusiast in the areas of SEO and web design. In my personal life I spend time on photography, mountain climbing, snorkeling and dirt bike riding.
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