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» » राहुल डांगी पांचाल (दिल के पन्ने ) Rahul Panchal (Dil ke Panne )




मेरी जिन्दगानी का साहिल तू ही है।
मेरी आशिकी के मुकाबिल तू ही है।
तू समझे न समझे मेरे दिल की हालत।
तू जाने न जाने मुहब्बत की कीमत।
तेरा नाम फिर भी मैं रटता रहुंगा।
मुहब्बत जो की है तो करता रहुंगा।

तू जी भर के मुझको रुला और दुख दे।
मेरी जिन्दगानी को मातम का रुख दे।
तेरे दिल की कोई डगर हो या ना हो।
मेरे आंसुओं का असर हो या ना हो।
तेरी आश लेकर मैं चलता रहूंगा।
मुहब्बत जो की है तो करता रहूंगा।

वो क्या चीज है जिसकी तूझको है चाहत।
मुहब्बत से बढकर है किस शै की कीमत।
तू जिसके लिए मुझको मारे है ठोकर।
वो क्या है जो है जान से मेरी बढकर।
इन्हीं उलझनों में भटकता रहूंगा।
मुहब्बत जो की है तो करता रहूंगा।

मैं हर सांस में तूझको भर के चला हूं।
मैं जीवन तेरे नाम कर के चला हूं।
तू जी भर के 'राहुल' मेरा जी दुखा ले।
मेरी आशिकी को तू खूब आजमाले।
मैं आशिक तेरा तूझपे मरता रहूंगा।
मुहब्बत जो की है तो करता रहूंगा।



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वो मिन्नत है मेरी उसे ये बता दे।
मेरी धडकनों की पुकारे सुना दे।
तडपते हुए दिल, जिगर भी दिखा दे।
खुदा उसके दिल में मुहब्बत जगा दे।

मैं साथी हूं उसका हजारो जनम से।
मुहब्बत की पहली रिवाजो रशम से।
ये दुनिया तुम्हें दुनियावालो मुबारक।
मुझे तो कोई उसके दिल में बसा दे।
मेरी धडकनों की पुकारे सुना दे।
खुदा उसके दिल में मुहब्बत जगा दे।


मैं कुरबान कर दूं ये तन मन भी उस पर।
ये धडकन, ये जां भी, ये जीवन भी उस पर।
मनाऊं मैं कैसे मुहब्बत के रब को।
वो तरकीब कोई मुझे भी बता दे।
मेरी धडकनों की पुकारे सुना दे।
खुदा उसके दिल में मुहब्बत जगा


मेरी आतमा भी उसी की है 'राहुल'।
मैं मर के बनूं उसके पिंजरे की बुलबुल।
मेरा हर जनम बस उसी के लिए हो।
यही आरजू है, यही इक दुआ दे।
मेरी धडकनों की पुकारे सुना दे।
खुदा उसके दिल में मुहब्बत जग


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कभी आह की कभी उफ किया तूझे सोच के कभी रो पडा।
तेरे प्यार में मेरी जिन्दगी मेरे हाल का तूझे क्या पता।

तूने जब कहीं किसी गैर से कोई बात की तो मैं क्यूं जला।
तू कहीं भी जा, किसी से भी मिल, तेरी जिन्दगी तेरा फैसला।


मेरी मौत पर ये सवाल है, ये जो मर गया है ये क्यूं मरा।
वहीं भीड से किसी से कहा ये तो बेवजह ये तो खामखा।

ये जो इश्क है ये हवस नहीं, ये समझ से सबकी परे ही है।
ये वो व्रत है जो हजार किस्म की बंदिशो से खुला हुआ।

मेरी धडकनों का हिसाब है तू ओ बेखबर, तुझे क्या खबर।
तू कहां से है, मेरी कौन है, तुझे याद आ, तुझे याद आ।

मुझे प्यार तुझसे है किस कदर, मेरे दर्द का है इलाज क्या।
तू समझ सके तो करीब आ, तू समझ सके तो करीब आ।


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नाकामयाबी मेरी तकदीर बन गयी है।
अब जिन्दगी ये गम की तस्वीर बन गयी है।।

मरहम समय का भी कुछ आराम दे न पाया।
ये चोट अब जिगर की जागीर बन गयी है।।

उलझी पडी है उल्फत की बेडियों में साँसें।
यादों से मिल के धडकन भी तीर बन गयी है।।

सुनती है गर कहीं तू इक बार आ के मिल ले।
रो रो के मेरी हालत गम्भीर बन गयी है।।

हँसता हुँ तब भी चहरा छोडें नहीं उदासी।
सुख की भी दोस्त गम सी तासीर बन गयी है।।

आँखों ने आँसुओं से चहरे पे लिख दिया है ।
गुरबत जमाने में इक तकसीर बन गयी है।।

उसके लिए मुहब्बत इक खेल था एे 'राहुल'।
तेरे लिए तो आँखों का नीर बन गयी है।।


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प्यार माँगा मैंने तो दामन में नफ़रत फेंक दी
और फिर दुख ये दिया उसने कि ज़िल्लत फेंक दी

कौन सी गलती हुई इतनी बडी मुझसे खुदा ।
जो मेरी झोली में एक तरफा मुहब्बत फेंक दी।

ये फकत मुझसे कोई दरवेश ही रूठा नहीं ।
मैंनें नादानी में यारों अपनी किस्मत फेंक दी।

ताश, पत्ते, गुड्डे, गुडिया, कन्चें, फिरकी बच्चों ने।
माँ ने जब आवाज दी तो सारी दौलत फेंक दी।


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वक्त बेवक्त याद आती है।
तू मुझे रात दिन रुलाती है।

तेरे खत से महक चुराता हूँ।
तब कहीं एक साँस आती है।

रोज किस्मत मेरी मुहब्बत में।
दर पे आ आ के लौट जाती है।

साफ कह बेवफा सनम तू अब।
मेरी गुरबत से हिचकिचाती है।

जिन्दगी कोसती है अब दिल को।
आश फिर भी न बाज आती है।

दिल के हर इक गली मुहल्ले में।
तेरी उम्मीद फडफडाती है

तेरी तस्वीर पे मुहब्बत अब।
मेरे खूं से दिया जलाती है।

इश्क में लौ चराग-ए-गुरबत की।
आँखें तूफान को दिखाती है।


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क्यूं मुझे मौत की ये बू न आये।
तेरी याद आए और तू न आये।

जख्म दर जख्म चींख,दर्द,आह,उफ।
हाल-ए-दिल,शे'र हू-ब-हू न आये।

रोज देखे किसी को छुप के हम।
आह उफ कर ले रू ब रू न आये।

रोज आए नजर से लब तक वो।
पर लबों तक ये आरजू न आये।

वो ग़ज़ल क्या ग़ज़ल जिसे सुनकर।
दर्द की आँख में लहू न आये।

होंठ पर फूल और दिल काला।
मुझको ये इल्मे गुफ्तगू न आये।

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 मेरा दिल है कि गम का कारखाना है।
जगह यह अब सनम का कारखाना है।।

वे आँखे जुल्फ़,पलकें, रंग,लब,भौंहे।
वो चहरा है कि बम का कारखाना है।।

नहीं है सच जो दिखता है यहाँ कुछ भी।
ये दुनिया बस वहम का कारखाना है।।

गई है माँ तू जिस दिन से खुदा के घर।
ये घर तब से सितम का कारखाना है।।

कि आदम तो ख़ताओं का है इक पुतला।
खुदा ' राहुल' रहम का कारखाना है।।

About dil ke panne

Hi there! I am Hung Duy and I am a true enthusiast in the areas of SEO and web design. In my personal life I spend time on photography, mountain climbing, snorkeling and dirt bike riding.
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