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» » सलीम कौसर (दिल के पन्ने ) Salim kausar (Dil ke Panne )






कहीं तुम अपनी किस्मत का लिखा तब्दील कर लेते।
तो शायद हम भी अपना रास्ता तब्दील कर लेते।

अगर हम वाकई कम हौसला होते मुहब्बत में,
मरज़ बढ़ने से पहले ही दवा तब्दील कर लेते।

तुम्हारे साथ चलने पर जो दिल राज़ी नहीं होता,
बहोत पहले हम अपना फैसला तब्दील कर लेते।

तुम्हें इन मौसमों की क्या ख़बर मिलती अगर हम भी,
घुटन के खौफ से आबो-हवा तब्दील कर लेते।

तुम्हारी तर्ह जीने का हुनर आता तो फिर शायद,
मकान अपना वही रखते, पता तब्दील कर लेते।

जुदाई भी न होती ज़िन्दगी भी सहल हो जाती,
जो हम इक दूसरे से मसअला तब्दील कर लेते।

हमेशा की तरह इस बार भी हम बोल उठे, वरना,
गवाही देने वाले वाक़या तब्दील कर लेते।



पहले-पहल तो ख़्वाबों का दम भरने लगती हैं
फिर आँखें पलकों में छुप कर रोने लगती हैं

जाने तब क्यों सूरज की ख़्वाहिश करते हैं लोग
जब बारिश में सब दीवारें गिरने लगती हैं

तस्वीरों का रोग भी आख़िर कैसा होता है
तन्हाई में बात करो तो बोलने लगती हैं

साहिल से टकराने वाली वहशी मौजें भी
ज़िन्दा रहने की ख़्वाहिश में मरने लगती हैं

तुम क्या जानो लफ़्ज़ों के आज़ार की शिद्दत को
यादें तक सोचों की आग में जलने लगती हैं

About dil ke panne

Hi there! I am Hung Duy and I am a true enthusiast in the areas of SEO and web design. In my personal life I spend time on photography, mountain climbing, snorkeling and dirt bike riding.
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