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» »Unlabelled » ताबिश मेहदी (दिल के पन्ने) Tabish Mehdi (Dil ke Panne )


ख़ता मैं ने कोई भारी नहीं की
अमीर-ए-शहर से यारी नहीं की

मेरे ऐबों को गिनवाया तो सब ने
किसी ने मेरी ग़म-ख़्वारी नहीं की

मेरे शेरों में क्या तासीर होती
कभी मैं ने अदा-कारी नहीं की

किसी मंसब किसी ओहदे की ख़ातिर
कोई तदबीर बाज़ारी नहीं की

बस इतनी बात पर दुनिया ख़फ़ा है
के मैं ने तुझ से ग़द्दारी नहीं की

बला से मर्तबे ऊँचे न रखना
किसी दरबार से रिश्ते न रखना

जवानों को जो दरस-ए-बुज़दिली दें
कभी होंटों पे वो क़िस्से न रखना

अगर फूलों की ख़्वाहिश है तो सुन लो
किसी की राह में काँटे न रखना

कभी तुम साइलों से तंग आ कर
घरों के बंद दरवाज़े न रखना

पड़ोसी के मकाँ में छत नहीं है
मकाँ अपने बहुत ऊँचे न रखना

नहीं है घर में माल ओ ज़र तो क्या ग़म
विरासत में मगर क़र्ज़े न रखना

रईस-ए-शहर को मैं जानता हूँ
कोई उम्मीद तुम उस से न रखना

बहुत बे-रहम है 'ताबिश' ये दुनिया
तअल्लुक़ इस से तुम गहरे न रखना


दश्त-ए-तन्हाई बादल हवा और मैं
रोज़ ओ शब का यही सिलसिला और मैं

अजनबी रास्तों पर भटकते रहे
आरज़ूओं का इक क़ाफ़िला और मैं

दोनों उन की तवज्जोह के हक़-दार हैं
मुझ पे गुज़रा था जो सानेहा और मैं

सैकड़ों ग़म मेरे साथ चलते रहे
जिस को छोड़ा उसी ने कहा और मैं

रौशनी आगही और ज़िंदा-दिली
इन हरीफ़ों से था वास्ता और मैं

देर तक मिल के रोते रहे राह में
उन से बढ़ता हुआ फ़ासला और मैं

जब भी सोचा तो बस सोचता रह गया
ज़िंदगानी तेरा मरहला और मैं

तंज़ दुश्नाम लानत अदावत हसद
इन रफ़ीक़ों का साया रहा और मैं


About dil ke panne

Hi there! I am Hung Duy and I am a true enthusiast in the areas of SEO and web design. In my personal life I spend time on photography, mountain climbing, snorkeling and dirt bike riding.
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