रात छलकी शराब आँखों में
महके सारे ही ख्वाब आँखों में
देखो तुम ऐसा कुछ नहीं कहना
हों जो नींदें खराब आँखों में
सच कहूँ तुमने वो पढ़ी ही नहीं
है जो लिखी किताब आँखों में
क्या कहूँ तेरी इस अदा को अब
देते रहना जवाब आँखों में
तुमने जिस दिन से मुझको चाहा है
खिल उठे हैं गुलाब आँखों में
मुंतज़िर हूँ तेरी निगाहों की
बन के रहना नवाब आँखों में
कोई पढ़ ले न देख इनको "रतन"
ओढ़े रहना नक़ाब आँखों में
कौन कहता है की खुदा न हुआ ।
क्या कभी उसका कुछ भला न हुआ ।
चाहते हो अगर कभी गिन लो
नेमते फिर कहो खुदा न हुआ ।
ये हवा, आग, और ज़मीं पानी
क्या न क्या मिल गया पता न हुआ।
क्या मिलेगा कभी खुदा तुझको
खुद से' तेरा जो' राबता न हुआ ।
बेदिली तुम नहीं दिखा सकते
कह न देना कि बावफा न हुआ ।
दर्द कितने ही' तूने झेले हैं
ज़िन्दगी क्यों तुझे गिला न हुआ ।
सुन 'रतन' आज सब ये कहते हैं
कोई तुझसा भी बाखुदा न हुआ ।
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"देख लिया"
तुमको' अपना बना के' देख लिया
राज़ अपने बता के' देख लिया
आज हम आपसे कहेंगे' ज़रुर
आप पर सब लुटा के देख लिया
क्या खबर थी लुटेगा दिल का शह्र
तुझको' आदिल बना के' देख लिया
बेखबर ही रहे थे' हम सच से
आइना तुझपे' किया, के देख लिया
गैर मुमकिन है तू खुदा से डरे
मर्तबा आज़मा के' देख लिया
RTE मुझे भी
एक-दो रुपए के लिए
कार के शीशे को
अपने कुर्ते की बाँह से
पोंछता बचपन !
बचपन, जो वयस्क है
कर रहा है अपनी
शाम की रोटी का जुगाड़ !
कहाँ घूम रहे हैं
वे सभी झोलाधारी
अपने आँकड़ों का
बही-खाता लेकर
नहीं दिखाई देता
क्यूँ उन्हें
अपने दावों का
खोखलापन !!
करवाई जाती है गणना
जन जन की
रात के दूसरे, चौथे पहर भी
शामिल हो जाता है
हर व्यक्ति, तो फिर
कहाँ ग़ायब हो जाती है
गिनती बचपन की
क़ूड़ा बीनती , सिक्के गिनती
जिसको बचाने ख़ातिर
बनाए गए हैं कई क़ानून
दोहरे !!
उड़ रही हैं धज्जियाँ
RTE* की
शहर की सड़कों पर
फुटपाथों पर
झुग्गियों में
खण्डहरों के कोनों में
वीरान मकानों में
कोठों की चक्करघिन्नियों में ।
खो दिया है अपना अस्तित्व
दो के बाद सीधे
इक्कीस की
जद्दोजहद में !!
कर सको तो करो
इनका भी दाख़िला
दे दो इन्हें भी
स्कूल की एक सीट
किताबें, बस्ता, कॉपी, पेन
जी लेने दो इन्हें भी
रँग-बिरंगी क़ागज़ी दुनिया
चरखियाँ, पन्नियों, और
कश्तियाँ !!
जी लेने दो इन्हें भी
इनका जहाँ..
जी लेने दो इन्हें भी
इनका जहाँ....
__कीर्ति"रतन"__
*RTE - राइट टू एजुकेशन
NYC thoughts Mam....
ReplyDeleteNYC thoughts Mam....
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