1.उनको मनना मजबूरी आज भी है
ऊनका-बात बेबात पर रूठना तो लाजमी है
हर बार के तरह उनको मनना मजबूरी आज भी है
मजा लो, कर के उनकी जी हजूरी
परवाह नहीं, चाहे झलके तुम्हारी मजबूरी
जी भर के मूर्खता भरी बातें करो
किसी भी तरह उनको हँसाते रहो
बातो से बेवकूफियां झलकनी चाहिए
उन के मुँह से वह ! जी वह ! निकलनी चाहिए
जिंदगी के लिए जरूरी है, ऐसी नोक झोक
मत लगने देना इस पर कभी भी रोक टोक
यकीनन वो मान जाएंगी, खुशियाँ फिर से लौट आएंगी
रात-दिन रंगीन हो जायेंगे, फिज़ाओं में गर्मी आ जाएगी
2.(महफिल में तेरा जिक्र आते ही)
महफिल में तेरा जिक्र आते ही
दफ़न यादें ने फिर से रुलाया
गहरे सदमे में थे, तुझसे बिछुड़ते ही
बड़ी मुश्किल से, तुझे दिल से निकाला पाया
तेरी यादें कभी न सताएंगी, उम्मीन्द पल ली
पर अपने ही दिल को, बहुत कमजोर पाया
वज़ह हमें तड़फा कर दूर जाने की
में आज तक नहीं समझ पाया
तुझ से यारी के बहुत से दावे सुनने को मिले
और सब के दावो को खोकला पाया
किसी ने खुशी ज़ाहिर की, किसी ने शिकवे गीले
पर अपना तुझे कोई भी नहीं बन पाया
सबने तेरे हुस्न की कहानी कही
तेरी फ़ितरत को कहाँ कोई समझ पाया
3.बेवफाई जो तूने की थी
बेवफाई जो तूने की थी, यकीनन सच्ची नहीं थी
बस सच्ची थी, कहानी जो हम दोनों ने रची थी
तुम हमें बीच मजधार में छोड़ गए थे
हम अपने गलतियों पर, शोध करते रहे थे
मान लिया था, तुम्हारी कोई मजबूरी रही होगी
में तड़फता यहाँ, शायद तुम भी वहाँ रोती होगी
बड़ी मुश्किल से दिल को समझा पाए हैं
पर तुम्हें आज तक नहीं भुला पाए हैं
यकीनन ! एक दिन तो मिलोगे, तब पूछेंगे
एक बार फिर से जज्बातो से झुंजेंगे
दिल में एक बार फिर से खलबली होगी
लाज़मी है, गम काम होगा, खुशी बड़ी होगी
आज एक अर्से बाद मिले हो, बेशक मजबूरी ना कहो
हम गलत नहीं थे, बस इतना तो कहो
अपराध बोध से मुक्त हो जाएँगें
दिल में ठंडक और सुकून पाएँगें
धन्यवाद ! राम राम जी ! जय श्री कृष्ण ! जय हिन्द ! जय भारत !
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